चंचल शोक हवाओ जा के सजाना से कहना: - The Indic Lyrics Database

चंचल शोक हवाओ जा के सजाना से कहना:

गीतकार - समीर | गायक - कविता कृष्णमूर्ति, सुरेश वाडेकर | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - क़ैद में है बुलबुल | वर्ष - 1992

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चंचल शोख हवाओं जा के सजनाअ से कहना
मैं बागों की बुलबुल मुझे पिंजरे में नहीं रहना
चंचल शोख हवाओं ...अम्बर के नीचे पनघट के पीछे ऐसे ही गाती रहूंगी मैं
बुलबुल गुलिस्तां को नग़्में यूं ही सुनाती रहूंगी मैं
पायल बजाती खुश्बू लुटाती मैं हूँ सहेली बहारों की
शबनम की बूटी फूलों की लड़ियां हैं मेरा गहना
चंचल शोख हवाओं ...बीती कहानी बातें पुरानी मुझको बहुत याद आती हैं
प्यासी फ़िज़ाएं तेरी सदाएं
कैसे मिलेंगे हम दोबारा मैं पूछता हूँ नज़ारों से
दर्द जुदाई का अब तो मुझे नहीं सहना
चंचल शोख हवाओं ...