गीतकार - मुजफ्फर वारसी | गायक - Nil | संगीत - Nil | फ़िल्म - Nil | वर्ष - Nil
View in Romanक्या भला मुझको परखने का नतीजा निकला
ज़ख़्म-ए-दिल आप की नज़रों से भी गहरा निकला
तिश्नगी जम गई पत्थर की तरह होठों पर
डूब कर भी तेरे दरिया से मैं प्यासा निकला
तोड़ कर देख लिया आईना-ए-दिल तूने
तेरी सूरत के सिवा और बता क्या निकला
जब कभी तुझको पुकारा मेरी तनहाई ने
बू उड़ी फूल से तस्वीर से साया निकला
कोई मिलता है तो अब अपना पता पूछता हूँ
मैं तेरी खोज में तुझ से भी परे जा निकला
नज़र आया था सर-ए-बाम मुज़फ्फ़र कोई
पहुँचा दीवार के नज़दीक तो साया निकला