ऐ मालिक ए दो जहाँ तु है क़माल मौला - The Indic Lyrics Database

ऐ मालिक ए दो जहाँ तु है क़माल मौला

गीतकार - अंजान, हसन कमाल | गायक - | संगीत - कल्याणजी, आनंदजी | फ़िल्म - सल्तनत | वर्ष - 1986

View in Roman

ऐ मालिक-ए-दो-जहाँ तेरी ज़मीं तेरा आसमां
तू क्या सोचे तू क्या जाने ये तेरे बंदों को ख़बर कहाँ -२अरे तू है क़माल मौला तू है क़माल तेरी क़ुदरत क़माल
हो तू है क़माल मौला तू है क़माल तेरी सल्तनत क़मालअरे कब किसको क्या दे दे -२
कब किससे क्या ले ले -२
खेल तेरे बेमिसाल
तू है क़माल मौला ...तेरे करम का नूर कहाँ किसकी तक़दीर जगाए
किस दामन में फूल खिले और किसका चमन महकाए
छीने किसी की हँसी किसे दे ख़ुशी कोई ये जाने ना
अरे बंदापरवर मेरे फ़ैसले तेरे कोई पहचाने ना
तू है क़माल मौला ...मालिक तेरी क़ुदरत का है ये क्या अजब तमाशा
बेटा बाप बाप बेटे के ख़ून का है प्यासा
अनहोनी क्या हुई यहाँ तो कोई राज़ ये जाने ना
कैसा छाया जुनूं लहू को लहू आज पहचाने ना
तू है क़माल मौला ...कैसे देखे नज़र किसी की ये ग़मनाक नज़ारा
बाप के सीने में बेटे ने ख़ंज़र आज उतारा
वक़्त बड़ा बेरहम करे क्या सितम कोई ये जाने ना
अरे किस करनी का सिला किसे क्या मिला कोई पहचाने ना
तू है क़माल मौला ...क्यूँ ना तड़पे रूह किसी की आँख न क्यूं भर आए
जब औलाद की ख़ातिर कोई बाप यूँ जान लुटाए
क्यूँ से क़िस्मत लिखे तुझे क्या मिले कोई ये जाने ना
तू ही जाने ख़ुदा क्या है तेरी रज़ा कोई पहचाने ना
तू है क़माल मौला ...