क्या है इस बांसुरिया में कभी होन्थों से मुजे - The Indic Lyrics Database

क्या है इस बांसुरिया में कभी होन्थों से मुजे

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - सुमन कल्याणपुर | संगीत - कल्याणजी, आनंदजी | फ़िल्म - गीत | वर्ष - 1970

View in Roman

क्या है इस बाँसुरिया में जो मुझमें नहीं साँवरिया
कभी होंठों से मुझे भी लगा ले
बाँसुरी बनाई के हो बाँसुरी बनाई के
मैं तो गाऊँ तेरे गीत मेरे मीत
सारे जग को भुलाई के
कभी होंठों से ...तोरे संग नेहा लागा तोरे रंग राती
बन-बन द्वारे-द्वारे फिरूँ मदमाती
तुझमें ही समा गई मैं तेरे पास आई के
कभी होंठों से ...सारा जग जान गया राधा भई श्याम की
छेड़ें तेरा नाम लेके सखियाँ सारे गाँव की
हो छलिया तूने सुध ना लीनी बावरी बनाई के
कभी होंठों से ...