स्ट्रॉबेरी आंखें सोचती क्या हैं - The Indic Lyrics Database

स्ट्रॉबेरी आंखें सोचती क्या हैं

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - कविता पौडवाल, के के | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - सपने | वर्ष - 1997

View in Roman लगता है तेरे सर में है, भूसा भरा हुआ
किसे पता, किसे खबर, तू आदमी है या बन्दर
'>

के : Strawberryआँखें, सोचती क्या हैं
लड़की तुम हो महलों में हो पली
वो ice creamहो जो है फ़्रिज् में रखी
तुमने जो भी कहा, वो हमेशा हुआ
तुम्हें हर चीज़ मिली, mercedesमिली
फिर भी आँखों में है, कोई ग़म छुपा हुआ
फिर भी तुम खुश नहीं, बोलो है बात क्याऐं? no reaction? volume doubleकरूँ?
Strawberryआँखें ...
तुम दिल की हर इक बात पे क्यों इतनी हो बेज़ार
तुम प्यार के सब ख़्वाबों को भी कहती हो बेकार
पगली कहीं हो तो नहीं
लाऊँ मैं क्या, कोई दवा?कविता : कोई पगली वगली नहीं मैं, सुनो
दवा मुझको न दो, इलाज अपना करो
मेरे दादा-परदादा भी पागल न थे
न कोई पागल्पन मुझ में हैपाऊँ कैसे खुशी अपने ही प्यार में
जब के है दुःख भरा सारे संसार में
मुझको ऐसी खुशी से नहीं वासता
मेरा तो है अलग रास्ताके : क्या? शादी नहीं चाहिये?
तो फिर route changeआँखों में हैं हीरे चमकते
चेहरे पर हैं, चाँद दमकते
गालों में हैं, फूल महकते
होंठों में हैं कलियाँ गुलाबी
दिल को बना दें जैसे शराबी
नाक तो थोड़ी oversizeहै
It's okay, madam. Plastic surgeryकर देंगेकविता : मेरी तो नाक जैसी है, तु अपना सर दिखा
लगता है तेरे सर में है, भूसा भरा हुआ
किसे पता, किसे खबर, तू आदमी है या बन्दर