इन्साफ़ का मन्दिर है ये भगवान का घर है - The Indic Lyrics Database

इन्साफ़ का मन्दिर है ये भगवान का घर है

गीतकार - शकील | गायक - रफी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - अमर | वर्ष - 1954

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इन्साफ़ का मन्दिर है ये भगवान का घर है
कहना है जो कह दे तुझे किस बात का डर है
इन्साफ़ का मन्दिर है
है खोट तेरे मन में जो भगवान से है दूर
है पाँव तेरे फिर भी तू आने से है मजबूर
हिम्मत है तो आजा ये भलाई की डगर है
इन्साफ़ का मन्दिर है
दुख दे के न दुखियों से जो इन्साफ़ करेगा
भगवान भी उसको न कभी माफ़ करेगा
( ये सोच ले ) हर बात की दाता को ख़बर है
इन्साफ़ का मन्दिर है
मायूस न हो हार के तक़दीर की बाज़ी
प्यारा है वो ग़म जिसमें हो भगवान भी राज़ी
( दुख दर्द मिले ) जिसमें वही प्यार अमर रहे
इन्साफ़ का मन्दिर है