गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - सोनिक-ओमी | फ़िल्म - | वर्ष - 1973
View in Romanमन के ख़ज़ाने में माया ही माया
जब भी तू चाहे इसे लूट लेदिखाई न दे अन्धेरे में ताला
तू ज्योति लगन की जला ले
अगर हाथ काँपे तो हरि नाम ले कर
तू पूजा की चाबी लगा ले
डराती है क्यों मुझको अपनी छाया
तेरा ही धन है ये नहीं है पराया
जब भी तू चाहे ...कभी हार दाता की होती नहीं
न जाता खाली कभी लेने वाला
भरेगी तेरी न ये तृष्णा की झोली
थकेगा न वो देने वाला
उसी ने बनाई है तेरी ये काया
काया में भक्ति का धन है छुपाया
जब भी तू चाहे ...