धुआँ उठा है कहीं आग जल रही होगी - The Indic Lyrics Database

धुआँ उठा है कहीं आग जल रही होगी

गीतकार - गुलजार | गायक - जगजीत सिंह | संगीत - जगजीत सिंह | फ़िल्म - लीला | वर्ष - 2002

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धुआँ उठा है कहीं आग जल रही होगी
असीर-ए-रोशनी बाहर निकल रही होगीये चारों ओर से आते हुए कैइ दस्ते
जब एक दूसरे के जिस्म आके छूते हैं
कोई तो हाथ मिलाकर निकल गया होगा
किसी की मोड़ पे मंज़िल बदल गैइ होगीहरेक रोज़ नया आसमान खुलता है
ख़्हबर नहीं है कि कल दिन का रंग क्या होगा
पलक से पानी गिरा है तो उस्को गिरने दो
कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी