गंगा भी बह रहई है लॉग टू मार कर जले होंगे - The Indic Lyrics Database

गंगा भी बह रहई है लॉग टू मार कर जले होंगे

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - गौरी | वर्ष - 1968

View in Roman

गंगा भी बह रही है चिताओं के साथ-साथ
शोले भी चल रहे हैं हवाओं के साथ-साथ -२लोग तो मर कर जलते होंगे मैं जीते जी जलता हूँ -२
आँख में सपने फूलों के और अंगारों पर चलता हूँ
लोग तो मर कर जलते होंगे मैं जीते जी जलता हूँसूरज तो दिन भर चल-चल कर शाम कर थक कर ढल जाता है -२
मैं वो सूरज हूँ जो निकल कर पल भर ही में ढलता हूँलोग तो मर कर जलते होंगे मैं जीते जी जलता हूँ
आँख में सपने फूलों के और अंगारों पर चलता हूँ
लोग तो मर कर जलते होंगे मैं जीते जी जलता हूँमर कर वापस कौन आया है मैं मर कर वापस आया -२
जब ये जीना रास न आया फिर मरने को चलता हूँलोग तो मर कर जलते होंगे मैं जीते जी जलता हूँ
आँख में सपने फूलों के और अंगारों पर चलता हूँ
लोग तो मर कर जलते होंगे मैं जीते जी जलता हूँ