ओ मेरे दुल्हे राजा बाजे गलियों में बाजा - The Indic Lyrics Database

ओ मेरे दुल्हे राजा बाजे गलियों में बाजा

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - सहगान, अभिजीत | संगीत - आनंद राज आनंद | फ़िल्म - एक था दिल एक थी धड़कन | वर्ष - 1998

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ओ मेरे दूल्हे राजा बाजे गलियों में बाजा
मिलने ससुराजी तेरे आए रे
ले के आई तिलक है समधन
समधी ले के आए हैं तन मन धन
बाजे गलियों में बाजा आज रेक्या मैं बताऊं कैसे हैं तेरे ससुराजी
मुंह से निकल न जाए कोई गाली
हो दुल्हन की अम्मा यही मोटे नखरे वाली
दुल्हन की भाभी एक numberकम वाली
दुल्हन की है जो बहना वाह जी वाह क्या उसका कहना
क्या मैं बताऊं कुछ न कहा जाए रे
ले के आई तिलक है ...दूल्हे राजा हैं कैसे तेरे घरवाले
क्यों तूने हैं मुस्टंडे पाले
अरे बाप उठाईगिरा चाचा है भिखारी
भाई लफ़ंगा बहना बदसूरत बेचारी
और जो है तेरी मइया उसकी क्या बोलूं भइया
भैंसों का जैसे चारा खाए रे
ओ ले के आई तिलक है ...हे दूल्हे राजा तुम ये लड़ाई रुकवा दो
दोनों घरों के लोगों को ये समझा दो
दूल्हे दुल्हन को सब मिल के दुआ दो
जुग जुग जिएं ये दोनों फूलें फलें ये दोनों
घर खुशियों से भर जाए रे
हो ले के आई तिलक है ...