मिली काक में मुहब्बत जला दिल का आशियाना - The Indic Lyrics Database

मिली काक में मुहब्बत जला दिल का आशियाना

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - चौदहवीं का चाँदी | वर्ष - 1960

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मिली ख़ाक में मुहब्बत, जला दिल का आशियाना
जो थी आज तक हक़ीक़त, वही बन गई फ़सानाये बहार कैसी आई, जो फ़िज़ां भी साथ लाई
मैं कहाँ रहूँ चमन में, मेरा लुट गया ठिकानामुझे रास्ता दिखाकर, मेरे कारवां को लूटा
इधर आ गले लगा लूँ, तुझे गरदिश-ए-ज़माना