हमेशा तुमको चाहा - The Indic Lyrics Database

हमेशा तुमको चाहा

गीतकार - | गायक - | संगीत - | फ़िल्म - | वर्ष - 2002

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कोई ख़ुशी है यह रात आई सजधज के बरात है आई
धीरे धीरे ग़म का सागर ठाम गया आँखों में आकर
गूंज उठी है लो शेहनाई तो खो लिए बाँध बँधायी

हमेशा तुमको चाहा और चाह और चाह चाह चाह चाह
हमेशा तुमको चाहा और चाहे कुछ भी नहीं
तुम्हे दिल ने है पूजा पूजा पूजा और पूजा कुछ भी नहीं
न न नाहीं न न नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं कुछ भी नहीं
कुछ भी नहीं कुछ भी नहीं कुछ भी नहीं

खुशियों में भी छाई उदासी दर्द की छाया में वह लिपटी
केहने पिया से बस यह ायी केहने पिया से बस यह आई

जो दाग तुमने मुझको दिया उस दाग से मेरा चेहरा खिला
रखूंगी इसको निशानी बनकर माथे पर इसको हमेशा सजाकर
ओह प्रीतम ओह प्रीतम बिन तेरे मेरे इस जीवन में कुछ भी नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं कुछ भी नहीं

बीते लम्हों की यादें ले कर ओझल क़दमों से वह चलकर
दिल भी रोया और आँखें भर आयी मनन से आवाज़ है आई
वह बचपन की यादें वह रिश्ते वह नाते वह सावन के झूले
वह हसना वह हसना वह रूठ कर फिर मनना
वह हर एक पल में दिल में समायी दिए में जलाये
ले जा रही हूँ मैं ले जा रही हूँ मैं ले जा रही हूँ
ओह प्रीतम ओह प्रीतम बिन तेरे मेरे इस जीवन में कुछ भी नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं कुछ भी नहीं

हमेशा तुमको चाहा और चाह और चाह चाह चाह चाह
और चाह और चाह चाह चाह चाह
और चाह और चाह चाह चाह चाह
हाँ चाह चाह चाह चाह
बस चाह चाह चाह चाह
हाँ चाह चाह चाह चाह
और छः छः छः छः
और छः छः छः छः.