दुब जाए जो क़िस्मत का तारा - The Indic Lyrics Database

दुब जाए जो क़िस्मत का तारा

गीतकार - नूर लखनवी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - परछाईं | वर्ष - 1952

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डूब जाये
(डूब जाये जो क़िस्मत का तारा
कोई होता नहीं फिर सहारा) -२
डूब जायेओ~ चाँद सूरज हो रोशन हमें क्या
ओ~ कोई फूलों का गुलशन हमें क्या
इस ? जीवन हमारा
डूब जाये ...ऐसा उलझा है कांटों में दामन
अपनी परछैइं है अपनी दुश्मन
लाख तूफ़ान हैं
लाख तूफ़ान हैं और एक बेचारा
कोई होता नही फिर सहारा
डूब जाये ...ओ रह गई आरज़ू नज़र में
ओ कटी अपनी दुनिया भँवर में
जब नज़र आ रहा था किनारा
कोई होता नहीं फिर सहारा
डूब जाये ...