खुमार ए गम है तेरे कयाल की आब ओ हवा - The Indic Lyrics Database

खुमार ए गम है तेरे कयाल की आब ओ हवा

गीतकार - गुलजार | गायक - जगजीत सिंह | संगीत - जगजीत सिंह | फ़िल्म - लीला | वर्ष - 2002

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ख़्हुमार-ए-ग़म है महकती फ़िज़ा में जीते हैं
तेरे ख़्हयाल की आब-ओ-हवा में जीते हैंबड़े तपाक से मिलते हैं मिल्ने वाले मुझे
वो मेरे दोस्त हैं तेरी वफ़ा में जीते हैनफ़िराक़-ए-यार में साँसों को रोके रखते हैं
हरेक लम्हा गुज़रती कज़ा में जीते हैंन बात पूरी हुई थी कि रात टूट गई
अधूरे ख़्ह्वाब की आधी सज़ा में जीते हैंतुम्हारी बातों में कोई मसीहा बसता है
हसेएं लबों से बरसती शफ़ा में जीते हैं