रात गुणगुणती है लोरियां सुनाती हैं - The Indic Lyrics Database

रात गुणगुणती है लोरियां सुनाती हैं

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - फरेब | वर्ष - 1953

View in Roman

रात गुनगुनाती है लोरियां सुनाती है
रात गुनगुनाती है
नींद क्यूँ नहीं आती, क्यूँ नहीं आती
रात गुनगुनाती हैज़िंदगी ने छोड़ा है, जाने कैसी मंज़िल में
ज़िंदगी ने छोड़ा है
(मिटती है उभरती है, बेकरारियां दिल में)-२
ख़्वाब क्यूँ हुये भाई ?
ऐ मेरी परेशान दिल
ख़्वाब क्यूँ हुये भाई
नींद क्यूँ नहीं आती, क्यूँ नहीं आती
रात गुनगुनाती हैरात और तनहाई, सोये अपने बेगाने
रात और तनहाई
कौन है यहाँ ऐ दिल दुख तेरा जो पहचाने
कौन है
कौन है यहाँ ऐ दिल दुख तेरा जो पहचाने
रन्ज-ओ-दर्द के मारे, सो भी जा सो भी जा सो भी जा मेरे प्यारे
रन्ज-ओ-दर्द के मारे
नींद क्यूँ नहीं आती, क्यूँ नहीं आती
रात गुनगुनाती है लोरियां सुनाती है
रात गुनगुनाती है