छोड आए हम वो गलियां - The Indic Lyrics Database

छोड आए हम वो गलियां

गीतकार - गुलजार | गायक - हरिहरन, सुरेश वाडकर, विनोद सहगल, केके | संगीत - विशाल | फ़िल्म - माचिस | वर्ष - 1996

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छोड़ आए हम, वो गलियाँ-४जहाँ तेरे पैरों के, कँवल गिरा करते थे
हँसे तो दो गालों में, भँवर पड़ा करते थेहे, तेरी कमर के बल पे, नदी मुड़ा करती थी
हँसी तेरी सुन सुन के, फ़सल पका करती थी
छोड़ आए हम ...(हो, जहाँ तेरी एड़ी से, धूप उड़ा करती थी
सुना है उस चौखट पे, अब शाम रहा करती है)-२
(लटों से उलझी-लिपटी, इक रात हुआ करती थी
कभी कभी तखिये पे, वो भी मिला करती है) -२
छोड़ आए हम ...दिल दर्द का टुकड़ा है, पत्थर की डली सी है
इक अंधा कुआँ है या, इक बंद गली सी है
इक छोटा सा लम्हा है, जो ख़त्म नहीं होता
मैं लाख जलाता हूँ, यह भस्म नहीं होता
यह भस्म नहीं होता ...
छोड़ आए हम ...