थारे हुये पानी में कंकार ना मारी - The Indic Lyrics Database

थारे हुये पानी में कंकार ना मारी

गीतकार - प्रकाश मेहरा-माया गोविंद | गायक - कुमार शानू, साधना सरगम | संगीत - बप्पी लाहिड़ी | फ़िल्म - दलाल | वर्ष - 1993

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male Version( ठहरे हुये पानी में कंकर न मार साँवरी
मन में हलचल सी मच जायेगी बावरी हो ) -२
ठहरे हुये पानी मेंमेरे लिये है तू अनजानी तेरे लिये हूँ मैं बेगाना
अनजाने ने बेगाने का दर्द भला कैसे पहचाना
जो इस दुनिया ने ना जानाठहरे हुये पानी में कंकर न मार साँवरी
मन में हलचल सी मच जायेगी बावरी हो
ठहरे हुये पानी मेंसब फूलों के हैं दीवाने काँटों से दिल कौन लगाये
भोली सजनी मैं हूँ काँटा क्यूँ अपना आँचल उलझाये
रब तुझको काँटों से बचायेठहरे हुये पानी में कंकर न मार साँवरी
मन में हलचल सी मच जायेगी बावरी हो
ठहरे हुये पानी मेंतुम ही बताओ कैसे बसेगी दिल के अरमानों की बस्ती
ख़ाब अधूरे रह जायेंगे मिट जायेगी इनकी हस्ती
चलती है क्या रेत पे कश्ती( ठहरे हुये पानी में कंकर न मार साँवरी
मन में हलचल सी मच जायेगी बावरी हो ) -२
ठहरे हुये पानी मेंfemale Version( ठहरे हुये पानी में कंकर न मार साँवरे
मन में हलचल सी मच जायेगी बावरे हो ) -२
ठहरे हुये पानी मेंतेरे लिये हूँ मैं अनजानी मेरे लिये है तू बेगाना
बेगाने ने अनजाने का दर्द भला कैसे पहचाना
जो इस दुनिया ने ना जानाठहरे हुये पानी में कंकर न मार साँवरे
मन में हलचल सी मच जायेगी बावरे हो
ठहरे हुये पानी मेंसब फूलों के हैं दीवाने काँटों से दिल कौन लगाये
भोले राही मैं हूँ काँटा क्यूँ अपना दामन उलझाये
रब तुझको काँटों से बचायेठहरे हुये पानी में कंकर न मार साँवरे
मन में हलचल सी मच जायेगी बावरे हो
ठहरे हुये पानी मेंतुम ही बताओ कैसे बसेगी दिल के अरमानों की बस्ती
होऽ ख़ाब अधूरे रह जायेंगे मिट जायेगी इनकी हस्ती
चलती नहिं है रेत पे कश्ती( ठहरे हुये पानी में कंकर न मार साँवरे
मन में हलचल सी मच जायेगी बावरे हो ) -२
ठहरे हुये पानी में