गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - साधना सरगम, मोहम्मद अज़ीज़ | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - ज़हरीले | वर्ष - 1990
View in Romanबत्ती लाल हरी ना तो पुलिस खड़ी उसपे रात अंधेरी
मोटर वाले टकरा जाए तू जो हमसे
मज़ा आ जाए रे कसम से
बत्ती लाल हरी ...जानी चाहे आज तू मुझको तोड़ मोड़ दे
शर्म लाज कुछ तो कर पीछा मेरा छोड़ दे
भीगी रात भीगी लड़की मिलती है नसीब से
पीछे पड़ गई क्यों तू किसी गरीब के
तौबा मुझको तो रब ही स.म्भाले
टकरा जाए तू ...taxiतेरी मैं भी हूँ दिलरुबा
जैसे दिल करे वैसे मुझे चला
आगे पीछे दाएं बाएं चाहे जितनी दूर ले के जा
यूं है फिर तो आ मैं ले चलूं तुझे
कोने में कहीं बती जो बुझे
तू भी बाहों का meterगिरा ले
टकरा जाए तू ...हो बत्ती लाल ओ मतवाली
टकराई जो आज हमसे मज़ा ही आ गया कसम से