गले में लाल टाई घर में इक चारपाई - The Indic Lyrics Database

गले में लाल टाई घर में इक चारपाई

गीतकार - माया गोविंद | गायक - कुमार शानू, सहगान, बेला सुलाखे | संगीत - बप्पी लाहिड़ी | फ़िल्म - हम तुम्हारे हैं सनम | वर्ष - 2002

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सैय्याँ रे सैय्याँ ओ मोरे सैय्याँ
आ के गले लग जा
जा जा जा
गले में लाल टाई घर में इक चारपाई
तकिया एक और हम दो इक ही है रजाई
सर्दी कैसे जाएगी कहो कैसे हमें नींद आएगीगले में लाल टाई घर में इक चारपाई
तकिये की फ़िक्र ना कर बनूंगा मैं खुद रजाई
गले से लगा लूँगा होँठों से Coffeeपिला दूँगा
गले से लगा ...सारी दुनिया चैन से सोए
हम दोनों बातों में खोए
तुम से मैं डरती हूँ कोई हरकत न करो
एक है शर्त मेरी तुम शरारत न करो
हाय ये पसीना क्यूँ आ गया है हमदम
न तो कुछ सोचो तुम न तो कुछ सोचें हम
लगे चारपाई में कहीं इक खटमल है
तंग मुझे करता है तन में खलबल है
दुश्मन खटमल को तुम से मुहोब्बत है
जहाँ चाहे घूमेगा हाय क्या किस्मत है
अभी उसे ढूँढ कर मैं तगड़ी सज़ा दूँगा
गले में लाल टाई ...खिड़की के मैं परदे गिरा दूँ
तुम कह दो तो बत्ती बुझा दूँ
अरे बाबा ना रे ना बत्ती ना बुझा देना
वक़्त का पता नहीं कुछ ना हो जाए कहीं
खाता हूँ सर की कसम ज़रा ना छेड़ूँगा
इस शराफ़त के लिए इक चुम्मा लूँगा
हाय किस्मत फूटी किस को प्यार किया है
ऐसे बेसब्रे से मैने क्यूँ प्यार किया
अब तो मजबूरी है ये घड़ी आई है
साथ सोना ही पड़े इक चारपाई है
तेरे भरोसे को कभी ना दगा दूँगा
समझी
गले में लाल टाई ...