तू ही तु हसीन तसाबिह के दानों में - The Indic Lyrics Database

तू ही तु हसीन तसाबिह के दानों में

गीतकार - इसरार अंसारी | गायक - रूप कुमार राठौड़, जावेद अली | संगीत - जतिन, ललित | फ़िल्म - हासिल | वर्ष - 2003

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को : तू ही तू -२८जा : आ आ
तू ही तू -६
को : तू ही तू -६
जा : हसीं तसबीह के दानों में
परिन्दों की उड़ानों में
ज़र्रों में चट्टानों में
को : ज़र्रों में चट्टानों में
जा : जहाँ की हर ज़ुबानों में
मैं कहूँ हर शै में
आ आ आ
मैं कहूँ हर शै में
तू ही तू -३
को : तू ही तू -६रु : हसीं तसबीह के दानों में
परिन्दों की उड़ानों में
ज़र्रों में चट्टानों में
को : ज़र्रों में चट्टानों में
रु : जहाँ की हर ज़ुबानों में
मैं कहूँ हर शै में
ओ ओ ओ
मैं कहूँ हर शै में
तू ही तू -३
को : तू ही तू -६जा : हा आ आ
तमनाओं के सहरा में हसीं गुलज़ार देखा है -२
मेरी नज़रों ने जिस दिन से तेरा दरबार देखा है
को : देखा है
रु : देखा है
को : हाँ देखा है
रु : हाँ देखा हाँ देखा
को : मेरे मौला
रु : हो देखा है
को : हाँ देखा हैरु : तुझे देखा नहीं लेकिन तुझे महसूस करते हैं
तेरा दीदार हो हासिल तमन्ना दिल में रखते हैं
तमन्ना दिल में रखते हैं -२
को : तमन्ना दिल में रखते हैं -६
रु : दूर रह कर भी है आ आ आ
को : रूबरू -३
रु : रूबरू
को : तू ही तू
रु : तू ही तू
को : तू ही तू -६को : नि नि नि सा सा सा नि नि सा
जा : जो दिल से माँगी जाती है दुआ ख़ाली नहीं जाती -२
तेरे वादों में है शामिल के ये ताली नहीं जाती
को : तेरा जलवा
जा : सितारों में
को : तेरा जलवा
जा : बहारों में
को : मेरे मौला
जा : नज़ारों में
को : तेरा जलवा
रु : तू जिस दिल की भी दुनिया में मोहब्बत बन के है शामिल
वो अपनी ख़्वाहिशों के ख़ाब को क्यूँ ना करे हासिल
कहो क्यूँ ना करे हासिल -२
को : कहो क्यूँ ना करे हासिल -२
रु : मेरे मौला
को : कहो क्यूँ ना करे हासिल
अजी क्यूँ ना करे हासिल
रु : करम फ़रमा
को : कहो क्यूँ ना करे हासिल
कहो क्यूँ ना करे हासिल
रु : दिल को है बस तेरी ओ
आ आ आ -३
को : जुस्तजू -३
तू ही तू -९जा : हसीं तसबीह
को : के दानों में
जा : परिन्दों की
को : उड़ानों में
जा : ज़र्रों में चट्टानों में
को : ज़र्रों में चट्टानों में
दो : जहाँ की हर ज़ुबानों में
मैं कहूँ हर शै में
आ आ आ
मैं कहूँ हर शै में
तू ही तू -९
को : तू ही तू -४७
रु : हा

मेरे मौला
मेरे आक़ा
मेरे मौला