कभी कभी मेरे दिल कुब मज़ा आता हैं - The Indic Lyrics Database

कभी कभी मेरे दिल कुब मज़ा आता हैं

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - आशा भोंसले | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - मिस कोकाकोला | वर्ष - 1955

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कभी कभी मेरे दिल
कभी कभी मेरे दिल ख़ूब मज़ा आता है
जब कि दिल की कली जाती है खिल
कभी कभी मेरे दिलए
कहते हैं दो दीवाने रंगीन जवाँ अफ़साने -२
झूम के
झूम के कुछ कहती है धड़कन और नज़र जाती है मिलकभी कभी मेरे दिल
कभी कभी मेरे दिल ख़ूब मज़ा आता है
जब कि दिल की कली जाती है खिल
कभी कभी मेरे दिलए
काली काली रातों में जब हाथ हो उन हाथों में -२
नैनों में
नैनों में अरमाँ के दीपक होते हैं झिल मिल झिल मिलकभी कभी मेरे दिल
कभी कभी मेरे दिल ख़ुब मज़ा आता है
जब कि दिल की कली जाती है खिल
कभी कभी मेरे दिलए
चलते हैं जब हिल मिल के बेहोश मुसाफ़िर दिल के -२
चार कदम चलने से पहले आ जाती है ख़ुद मंज़िलकभी कभी मेरे दिल
कभी कभी मेरे दिल ख़ूब मज़ा आता है
जब कि दिल की कली जाती है खिल
कभी कभी मेरे दिल