खामोश है खेवनहार मेरा: - The Indic Lyrics Database

खामोश है खेवनहार मेरा:

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - अमर | वर्ष - 1954

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ख़ामोश है खेवनहार मेरा,
नैय्या मेरी डूबी जाती हैख़ामोश है खेवनहार मेरा, नैय्या मेरी डूबी जाती है
ज़िंदा हूँ मगर अब जीने की उम्मीद भी टूटी जाती हैसाहिल की तमन्ना थी मुझ को, मंझधार में बेड़ा जा पहुँचा
जीने की दुवाएँ क्या माँगू, पानी तो गले तक आ पहुँचा
दिल ढूँढ रहा है दुनिया को, दुनिया है की छूटी जाती है
नैय्या मेरी डूबी जाती है, ख़ामोश है खेवनहार मेराग़म अपना ज़बाँ तक ला न सकूँ संसार को मुँह दिखला न सकूँ
घुटता है जो दम, रुकते हैं क़दम,
बढते हैं क़दम, रुकते हैं क़दम,
घुटता है जो दम, रुकते हैं क़दम, मंज़िल की तरफ़ भी जा न
सकूँ
भटका हुआ राही जान के अब तक़दीर भी रूठी जाती है
नैय्या मेरी डूबी जाती है, ख़ामोश है खेवनहार मेराचरनों में है तेरे लाज मेरी, सुन आज ज़रा फ़रियाद मेरी
तू दूर नहीं, मजबूर नहीं, नगरी है मगर बरबाद मेरी
क्या यूँ ही गरीबों की दुनिया संसार में लूटी जाती है
नैय्या मेरी डूबी जाती है, ख़ामोश है खेवनहार मेरा