यास के दर पे झुका जाता है सर आज की रात - The Indic Lyrics Database

यास के दर पे झुका जाता है सर आज की रात

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, सुमन कल्याणपुर | संगीत - गुलाम मोहम्मद | फ़िल्म - शाम | वर्ष - 1961

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सु: यास के दर पे झुका जाता है सर आज की रात -२
नींद क्या मौत न आयेगी इधर आज की रातर: इश्क़ की गोद में है हुस्न का सर आज की रात
चाँद से कह दो
चाँद से कह दो के देखे न इधर आज की रात
देखे न इधर आज की रात
चाँद से कह दोसु: बम-ओ-दर जैसे सिमटते से नज़र आते हैं -२
कब्र से तंग हुआ जाता है घर आज की रातर: तुम जब आये हो तब आया है बहारों का पयाम -२
रश्क़-ए-जन्नत नज़र आने लगा घर आज की रात
चाँद से कह दो -२सु: कितनी वीरान है सुनसान है दुनिया मेरी -२
दिल की धड़कन से भी लगने लगा डर आज की रात -२र: दिल-ए-बेताब मचलता है मचल जाने दे -२
आज की रात हमारी है न डर आज की रात
आज की रात हमारी है न डर
हो न डर आज की रात
चाँद से कह दो
चाँद से कह दो के देखे न इधर आज की रात
देखे न इधर आज की रात
चाँद से कह दोसु: दिल-ए-नाकाम ये आलम तेरी मायूसी का -२
फेर ली जैसे ख़ुदा ने भी नज़र आज की रात -२यास के दर पे झुका जाता है सर आज की रात