नैन लड़ जइ हैं तो मनवामा कसक होईबे करी - The Indic Lyrics Database

नैन लड़ जइ हैं तो मनवामा कसक होईबे करी

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - गंगा जमुना | वर्ष - 1961

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लागा गोरी गुजरिया से नेहा हमार
होई गवा सारा चौपट मोरा रोजगार
नैन लड़ जइ हैं तो मनवामा कसक होईबे करी
प्रेम का छूटी है पटाखा तो धमक होईबे करी
रूप को मनमा बसैबा तो बुरा का होई है
तोहू से प्रीत लगइबा तो बुरा का होई है
प्रेम की नगरीमा कुछ हमरा भी हक होईबे करी
होई गवा मनमा मोरे तिरछी नजर का हल्ला
गोरी को देखे बिना निंदिया न आवै हमका
फाँस लगी है तो करेजवामा खटक होईबे करी
आँख मिल जई है सजनिया से तो ना चन लगी है
प्यार की मीठी गजल मनवा भी गावन लगी है
झांझ बजी है तो कमरियामा लटक होईबे करी
नैना जब लड़ी हैं तो भैया मन में कसक होईबे करी
मन ले गयी रे धोबनिया रामा कैसा जादू डाल के
कैसा जादू डाल के रे कैसा टोना मार के