है बस की हर एक उन के इशारे में निशान और - The Indic Lyrics Database

है बस की हर एक उन के इशारे में निशान और

गीतकार - मिर्जा गालिब | गायक - रफी | संगीत - गुलाम मोहम्मद | फ़िल्म - मिर्जा गालिब | वर्ष - 1954

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है बस की हर एक उन के इशारे में निशान और
करते हैं मुहब्बत तो गुज़रता है गुमान और

या रब वो न समझे हैं न समझेंगे मेरी बात
दे और भी दिल इनको जो न दे मुझको ज़ुबाँ और

तुम शहर में हो तो हमें क्या ग़म जब उठेंगे
ले आएंगे बाज़ार से जाकर दिल-ओ-जान और

है और भी दुनिया में सुखनवार बहुत अच्छे
कहते हैं की ग़ालीब का है अंदाज़-ए-बयाँ और$