बदतमीज़ी पे हम आ गये तो आंख मिलाउंगि - The Indic Lyrics Database

बदतमीज़ी पे हम आ गये तो आंख मिलाउंगि

गीतकार - समीर | गायक - सहगान, आशा भोंसले | संगीत - अनु मलिक | फ़िल्म - फ़िज़ा | वर्ष - 2000

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बदतमीज़ी पे हम आ गए तो तुम शरीफ़ों का फिर क्या होगा
हैं शीशे के घर तुम्हारे मारा पत्थर तो फिर क्या होगा
नाचूँ नाचूँ ननन नाचूँ नाचूँ नाचूँआँख मिलाऊँगी आँख चुराऊँगी
दिल धड़काऊँगी होश उड़ाऊँगी
ऐ सब को मना लूँगी सब रूठ गए तो क्या
मैं नाचूँ बिन पायल घुंघरू टूट गए तो क्या
नाचूँ नाचूँ ...कुछ मुश्किल थी मेरी ज़रा देर से आई हूँ
लेकिन मैं मोहब्बत के नज़राने लाई हूँ
दिल कांच के होते हैं ये टूट गए तो क्या
मैं नाचूँ बिन पायल ...माना के दुनिया में हर कदम पे धोखा है
औरों पे नहीं लेकिन मुझे खुद पे भरोसा है
जो कच्चे धागे थे वो टूट गए तो क्या
मैं नाचूँ बिन पायल ...