ये समा ये रुत ये नज़ारे - The Indic Lyrics Database

ये समा ये रुत ये नज़ारे

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - रवि | फ़िल्म - दो कलियां | वर्ष - 1968

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र: ये समा ये रुत ये नज़ारे, दिल मेरा मचलने लगा
जाने वफ़ा, ऐ दिलरुबा, ऐसे में आ मेरी बाहों में आ
ल: रोक ले निगाहों के इशारे, तन मेरा पिघलने लगा
मैं हूँ तेरी, तू है मेरा, आ मेरे दिल की पनाहों में आशाने (???) पे मेरे, गिरा दे ज़ुल्फ़ें
आँखों पे मेरे, बिछा दे ज़ुल्फ़ें
ऐसा जगा दे प्यार का जादू
सारे जहाँ पे छाए नशा