हम गवनवा ना जैबे विकल मोरा मनवा: - The Indic Lyrics Database

हम गवनवा ना जैबे विकल मोरा मनवा:

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - रोशन | फ़िल्म - ममता | वर्ष - 1966

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हम गवनवा ना जइबे हो बिना झूलनी
अम्बुवा की डारी पड़ रही बूँदिया
अचरा से उलझे लहरिया
लहरिया हो बिना झूलनी
हम गवनवा ना जैबे हो बिना झूलनीसकल बन गगन पवन चलत पुरवाई री माई -२
ऋतु बसन्त आई फूलन छाई बेलरिया
डार डार अम्बुवन की कोहरिया
रही पुकार और मेघवा बूँदन झरनाई
सकल बन गगन पवन चलत पुरवाई रीविकल मोरा मनवा, तुम बिन हाय
आए न सजना रितु बीती जाए
विकल मोरा मनवा, तुम बिन हायभोर पवन चली, बुझ गए दीपक
चली गई रैन श्रृंगार की
कैसे विरहा की धूप ढली
अरी ऐ कली अँखियन की पड़ी कुम्हलाए
विकल मोरा मनवा ...युग से खुले हैं पट नैनन के मेरे
युग से अन्धेरा मोरा अंगना
सूरज चमका न चांद खिला
अरी ऐ जला रही अपना, तन मन हाय
विकल मोरा मनवा ...