जियो तो ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा हैं - The Indic Lyrics Database

जियो तो ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा हैं

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - बहू बेटी | वर्ष - 1965

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जियो तो ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा है
मरो तो ऐसे कि जैसे तुम्हारा कुछ भी नहींये एक राज़ है कि दुनिया न जिसको जान सकी
यही वो राज़ जो ज़िन्दगी से हासिल है
तुम्हीं कहो ये राज़ तुम्हें कैसे समझाऊँ
के ज़िन्दगी की घुटन ज़िन्दगी की क़ातिल है
हर एक निगाह को ये क़ुदरत का इशारा है
जियो तो ऐसे जियो ...जहाँ में आ के जहाँ से खिंचे-खिंचे न रहो
वो ज़िन्दगी ही नहीं जिसमें आस बुझ जाए
कोई भी प्यास दबाए से दब नहीं सकती
इसी से चैन मिलेगा कि प्यास बुझ जाए
ये कहके मुड़ता हुआ ज़िन्दगी का धारा है
जियो तो ऐसे जियो ...ये आसमाँ ये ज़मीं ये फ़िज़ा ये नज़ारे
तरस रहे हैं तुम्हारी इक नज़र के लिए
नज़र चुरा के हर एक शै को यूँ न ठुकराओ
कोई शरीक़-ए-सफ़र ढूँढ लो सफ़र के लिए
बहुत क़रीब से मैने तुम्हें पुकारा है
जियो तो ऐसे जियो ...