कोई इकरार करे मैं तुम्ही से पुच्छति हुं - The Indic Lyrics Database

कोई इकरार करे मैं तुम्ही से पुच्छति हुं

गीतकार - जान निसार अख्तर | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - एन दत्ता | फ़िल्म - ब्लैक कैट | वर्ष - 1959

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prelude:लता:
कोई इक़रार करे, याकोई इनकार करे
हम से एक बार, निगाहें तो ज़रा चार करे
रफ़ी:
तुम हसीं हो तुम्हें सब दिल में जगह देते हैं
हम में क्या बात है, ऐसी जो कोई प्यार करेलता:
(मैं तुम्ही से पूछती हूँ, मुझे तुम से प्यार क्यों है
कभी तुम दग़ा न दोगे, मुझे ऐतबार क्यों है) -२
मैं तुम्ही से पूछती हूँमुझे क्यों पुकारती हैं, ये जवां जवां फ़िज़ाएं
मुझे मिल गई कहाँ से, ये हसीं हसीं अदाएं
ये हसीं हसीं अदाएं
मेरे ज़िंदगी पे छाई, ये नई बहार क्यों है
मैं तुम्ही से पूछती हूँ, मुझे तुम से प्यार क्यों है
कभी तुम दग़ा न दोगे, मुझे ऐतबार क्यों है
मैं तुम्ही से पूछती हूँजो क़दम उठा रही हूँ, वो क़दम बहक रहा है
मिले तुम से क्या निगाहें, मेरा दिल धड़क रहा है
मेरा दिल धड़क रहा है
मेरे दिल पे हाथ रख दो, तुम्हे इंतज़ार क्यों है
मैं तुम्ही से पूछती हूँ, मुझे तुम से प्यार क्यों है
कभी तुम दग़ा न दोगे, मुझे ऐतबार क्यों है
मैं तुम्ही से पूछती हूँतुम्हीं सामने हो मेरे, मैं जिधर नज़र उठाऊँ
तुम्हें भूलना भी चाहूँ, तो कभी न भूल पाऊँ
तो कभी न भूल पाऊँ
मेरे दिल पे हाय इतना तुम्हे इख़्तियार क्यों है
मैं तुम्ही से पूछती हूँ, मुझे तुम से प्यार क्यों है
कभी तुम दग़ा न दोगे, मुझे ऐतबार क्यों है
मैं तुम्ही से पूछती हूँ