जुल्फ की छाँव में चेहरे का उजाला लेकर - The Indic Lyrics Database

जुल्फ की छाँव में चेहरे का उजाला लेकर

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - फिर वही दिल लाया हूं | वर्ष - 1963

View in Roman

आ: ज़ुल्फ़ की छाओँ में चेहरे का उजाला लेकर
तेरी वीरान सी रातों को सजाया हमने
र: मेरी रातों में जलाये तेरे जलवों ने चराग़
तेरी रातों के लिये दिल को जलाया हमनेये तेरे गर्म से लब ये तेरे जलते रुख़सार -२
देख हमको के बनाया है इन्हें दिल का करार
कैसे अंगारों को सीने से लगाया हमने
तेरी रातों के लिये दिल को जलाया हमनेआ: हमने हर दिल को सिखाया है धड़कने का चलन -२
दे के उल्फ़त की तड़प दे के मोहब्बत की जलन
तुझ से दीवाने को इंसान बनाया हमने
तेरी वीरान सी रातों को सजाया हमनेर: सीख ले रस्म-ए-वफ़ा हुस्न भी दीवानों से -२
दास्ताँ अपनी भरी है इन्हीं अफ़सानों से
रख दिया सर को जहाँ फिर न उठाया हमने
तेरी रातों के लिये दिल को जलाया हमनेआ: ज़ुल्फ़ की छाओँ में चेहरे का उजाला लेकर
तेरी वीरान सी रातों को सजाया हमने