कहता है ये मौसम छा रही है कहीं पे घटा - The Indic Lyrics Database

कहता है ये मौसम छा रही है कहीं पे घटा

गीतकार - समीर | गायक - | संगीत - नदीम, श्रवण | फ़िल्म - सपने साजन के | वर्ष - 1992

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कहता है ये मौसम, छा रही है कहीं पे घटा
पँछी गा रहे हैं, इनसे पूछूँगी तेरा पता
मेरी जुल्फों को छेड़े, दीवानी ये पागल हवा
सपने साजन के, दे रहे अब हमको सदाभँवरे तराने गाये, गाके हमे सुनाये
फूलों का दिल है जवां
आई जवानी आई, क्या रुत सुहानी आई
कितना हसीं है समा
ऐसे में जी करता है करने को कोई खत
कहता है ये मौसम, छा रही है कहीं पे घटाअपना बनाऊँगी मैं, दिल में बसाऊँगी मैं
जब वो मिलेगा मुझे
किसकी दीवानी हूँ मैं, किसकी कहानी हूँ मैं
कैसे बताऊँ तुझे
आज नहीं तो कल मिल जायेगा उसका पता
कहता है ये मौसम, छा रही है कहीं पे घटा-२