प्रेम नगर में बनौंगी घर मैं - The Indic Lyrics Database

प्रेम नगर में बनौंगी घर मैं

गीतकार - आगा हशरा कश्मीरी | गायक - उमा शशि, के एल सहगल | संगीत - आर सी बोराल | फ़िल्म - चंडीदास | वर्ष - 1934

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उ : प्रेम नगर में बनाऊँगी घर मैं तज के घर संसार (२)
प्रेम का आँगन, प्रेम की छत और प्रेम के होंगे द्वार (२)
प्रेम नगर में बनाऊँगी घर मैं तज के घर संसार (२)स : प्रेम सखा हो प्रेम पड़ौसी
प्रेम में सुख का सार -२
प्रेम सखा हो प्रेम पड़ौसी
प्रेम में दुःख का सार, प्रेम में सुख का सार
प्रेम के संग बितायेंगे जीवन (२)
प्रेम ही प्राणाधार
प्रेम के संग बितायेंगे जीवन प्रेम ही प्राणाधार
प्रेम सखा हो प्रेम पड़ौसी
प्रेम में सुख का सार -२
प्रेम के संग बितायेंगे जीवन (२)
प्रेम ही प्राणाधारउ : {प्रेम सुधा से स्नान करूँगी
प्रेम से होगा सिंगार, प्रेम से होगा सिंगार} (२)
स : प्रेम ही कर्म है प्रेम ही धर्म है
प्रेम ही सत्त विचार, प्रेम ही सत्त विचार
प्रेम ही धर्म है प्रेम ही कर्म है
प्रेम ही सत्त विचार, प्रेम ही सत्त विचारउ : प्रेम नगर में बनाऊँगी घर मैं तज के घर संसार