अगर ज़िंदगी हो खुद में कहीं - The Indic Lyrics Database

अगर ज़िंदगी हो खुद में कहीं

गीतकार - अमिताभ भट्टाचार्य | गायक - केके | संगीत - अमित त्रिवेदी | फ़िल्म - Nil | वर्ष - 2010

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अगर ज़िंदगी हो खुद में कहीं
फिर क्यों रहें किसी की कमी
बोझ बन के रहें क्यों सुबह किसी रात पे
आ बदल डालें रस्में सभी इसी बात पें
माँगा नहीं है कभी आसमा
हाँ मगर इक झरोका खुला तो रखो
जीत दम तोड़ दे ना कहीं इसी मात पे
हाँ बदल डालें रस्में सभी इसी बात पें