बनहोन में ले लुउन ज़ुल्फ़ोन से खेलूं - The Indic Lyrics Database

बनहोन में ले लुउन ज़ुल्फ़ोन से खेलूं

गीतकार - समीर | गायक - कविता कृष्णमूर्ति | संगीत - दिलीप सेन-समीर सेन | फ़िल्म - सालाखें | वर्ष - 1998

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बाहों में ले लूं ज़ुल्फ़ों से खेलूं
बेताब मोहब्बत कहती है आजा आजा
पागल दीवाना आवारा किस नाम से तुझको पुकारूं मैं
पलकों के साए में रखूं या दिल में तुझको उतारूं मैंजो दिल को तेरे भा जाए उस नाम से मुझको पुकार ले तू
आँखों की सुनहरी गलियों से मुझे अपने दिल में उतार ले तूमेरी तमन्ना मेरा यार है मेरी मोहब्बत मेरा प्यार है
कैसे बताऊं तुझको भला मैं मुझको तेरा इंतज़ार है
होंठों पे मेरे तेरी बात है अपना तो जनमों का साथ है
मैने छोड़ा सारा ज़माना हाथों में तेरा हाथ हैरंगीला आशिक़ मस्ताना किस नाम से तुझको पुकारूं मैं
पलकों के साए में ...जन्नत से आई कोई हूर है इश्क़ में मेरे तू तो चूर है
भूले तुझे ना इक पल मेरा दिल इस में मेरा क्या कसूर है
दुनिया मेरे पैरों की धूल है मेरे जूड़े में तेरा फूल है
तेरे लिए जो मुझको मिला वो दर्द भी मुझको कबूल है