उड़ी उड़ी छाई घटा जिया लहाराये - The Indic Lyrics Database

उड़ी उड़ी छाई घटा जिया लहाराये

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - लता मंगेशकर, सहगान | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - अमर | वर्ष - 1954

View in Roman

ल: आऽ ओऽ
को: होऽ
ऊदी-ऊदी चाई घटा जिया लहराये
को: ऊदी-ऊदी चाई घटा जिया लहराये
ल: पिया-पिया हौले-हौले पपिहरा गाये
को: पपिहरा गाये
ल: आई रे सावन रुत हे री सखी
को: ऊदी-ऊदी छाई घटाल: ओऽ
को: ओऽ
ल: दूर हवा में उड़ता जाये इक पंछी का जोड़ा
को: बेला मिलन की जब मैं देखूँ ललचाये मन मोरा
ल: ओऽ
आँख-मिचौली मिल-मिल खेले फूलों के संग भौँरा
को: पापी नजरिया ऐसी मारे दरपे रे दिल मोरा
ल: कोई गोरी चोरी-चोरी नैनों में समाये
को: पपिहरा गाये
ल: आई रे सावन रुत हे री सखी
को: ऊदी-ऊदी छाई घटा

ल: ओऽ
को: ओऽ
ल: पी का संदेसा ले कर आये आज बदरवा कारे
को: माथे पे बिंदिया चमकन लागी नैन भये कजरारे
ल: ओऽ
कोयल कूके मोर भी नाचे मनवा तू भी गा रे
को: प्रेम की बंसी ऐसी बाजी दूर हुये दुख सारे
ल: रातें बीतीं सूनी-सूनी जीने के दिन जाये
को: पपिहरा गाये
ल: आई रे सावन रुत हे री सखी
को: ऊदी-ऊदी चाई घटा जिया लहराये
पिया-पिया हौले-हौले पपिहरा गाये
आई रे सावन रुत हे री सखी
ऊदी-ऊदी छाई घटा