माराना भी मोहब्बत में किसी काम ना आया: - The Indic Lyrics Database

माराना भी मोहब्बत में किसी काम ना आया:

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - सहगान, रघुनाथ जादव | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - आजाद | वर्ष - 1955

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को: मरना भी मोहब्बत में किसी काम ना आया
दी जान मगर दे के भी आराम ना आया -२र: हाँ
कहते हैं जिसे इश्क़ क़यामत की बला है
शोला है कभी और कभी बाद-ए-सबा है
हाँ
अश्कों का समंदर है तो आहों का ख़ज़ाना
सुनते चले आये अज़ल से ये फ़साना
इस क़िस्से का लेकिन कभी अंजाम ना आया -२
को: मरना भी मोहब्बत में किसी काम ना आया
दी जान मगर दे के भी आराम ना आया -२र: हाँ
मरने की मोहब्बत में अज़ा और ही कुछ है
इस ज़हर के पीने का मज़ा और ही कुछ है
हाँ
मरते हैं तो मरने की शिकायत नहीं करते
दिलवालों दिखाने की मोहब्बत नहीं करते
अब तक तो मोहब्बत में ये इल्ज़ाम ना आया -२
को: मरना भी मोहब्बत में किसी काम ना आया
किसी काम ना आया
दी जान मगर दे के भी आराम ना आया -२र: हाँ
होता न अगर इश्क़ तो दुनिया भी ना होती
जीने की किसी दिल में तमन्ना भी ना होती
हाँ
बिजली में चमक तारों में ये नूर न होता
लहरों को मचलना कभी मंज़ूर ना होता
क्या लुत्फ़ जो होंठों पे ये ही जाम ना आया -२
को: मरना भी मोहब्बत में किसी काम ना आया
किसी काम ना आया
दी जान मगर दे के भी आराम ना आया -२
मरना भी मोहब्बत में किसी काम ना आया