इस इश्क ओ मुहब्बत की कुछ हैं अजीब रसमें - The Indic Lyrics Database

इस इश्क ओ मुहब्बत की कुछ हैं अजीब रसमें

गीतकार - वर्मा मलिक | गायक - मोहम्मद रफ़ी, चंद्रानी मुखर्जी | संगीत - सोनिक-ओमी | फ़िल्म - ज़ुल्म की पुकार | वर्ष - 1979

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म: इस इश्क़-ओ-मुहब्बत की, कुछ हैं अजीब रस्में
कभी जीने के वादे, कभी मरने की कसमें
फ़: न ये तेरे बस में, न ये मेरे बस में
कभी जीने के वादे, कभी मरने की कसमेंम: कभी इंतज़ार करते, बरसात की रातों में
कभी रात गुज़र जाए, बातों ही बातों में
फ़: इक दर्द मचलता है, इस दिल की नस-नस में
कभी जीने के वादे, कभी मरने की कसमेंफ़: ग़र हमको जुदा कर दें, इक बार जहाँ के सितम
हर बार जनम लेकर, हर बार मिलेंगे हम
म: यूँ अहद-ए-वफ़ा कर लें, आ मिलकर आपस में
कभी जीने के वादे, कभी मरने की कसमेंम: मैं तेरी मोहब्बत में, हर रस्म निभा दूँगा
अपनी नीँदें देकर, तेरे ख़्वाब सजा दूँगा
फ़: ऐसा ही होता है, जब दिल न रहे बस में
कभी जीने के वादे, कभी मरने की कसमें