न तो कारवाँ की तलाश है - The Indic Lyrics Database

न तो कारवाँ की तलाश है

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मन्ना डे - आशा भोसले - सुधा मल्होत्रा - मोहम्मद रफी | संगीत - रोशन | फ़िल्म - बरसात की रात | वर्ष - Nil

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न तो कारवाँ की तलाश है, न तो हमसफ़र की तलाश है
मेरे शौक-ए-ख़ाना-ख़राब को तेरी रहगुज़र की तलाश है
मेरे नामुराद जुनून का है इलाज कोई तो मौत है
जो दवा के नाम पे ज़हर दे उसी चारागर की तलाश है
तेरा इश्क़ है मेरी आरज़ू, तेरा इश्क़ है मेरी आबरू
दिल इश्क़, जिस्म इश्क़ है और जान इश्क़ है
ईमान की जो पूछो तो ईमान इश्क़ है
तेरा इश्क़ है मेरी आबरू
तेरा इश्क़ मैं कैसे छोड़ दूँ , मेरी उम्र भर की तलाश है
तेरा इश्क़ मैं कैसे इश्क़-इश्क़
तेरा इश्क़ मैं कैसे इश्क़-इश्क़
इश्क़- इश्क़, इश्क़- इश्क़, इश्क़- इश्क़
ये इश्क़- इश्क़, इश्क़- इश्क़, इश्क़- इश्क़
जाँ-सोज की हालत को जाँ-सोज ही समझेगा
मैं शमा से कहता हूँ महफ़िल से नहीं कहता
क्यों कि ये इश्क़ -इश्क़ है इश्क़- इश्क़
सहर तक सब का है अंजाम जल कर ख़ाक हो जाना
बने महफ़िल में कोई शमा या परवाना हो जाए
क्यों कि ये इश्क़ -इश्क़ है इश्क़- इश्क़
वहशत-ए-दिल रसनो दार से रोकी न गई
किसी खंजर, किसी तलवार से रोकी न गई
इश्क़ मजनूँ की वो आवाज़ है जिसके आगे
कोई लैला किसी दीवार से रोकी न गई
क्यों कि ये इश्क़ -इश्क़ है इश्क़- इश्क़
वो हँस के अगर माँगे तो हम जान भी दे दें
ये जान तो क्या चीज़ है ईमान भी दे दें
क्यों कि ये इश्क़ -इश्क़ है इश्क़- इश्क़
नाज़-ओ-अंदाज़ से कहते हैं कि जीना होगा
ज़हर भी देते हैं तो कहते हैं कि पीना होगा
जब मैं पीता हूँ तो कहते हैं कि मरता भी नहीं
जब मैं मरता हूँ तो कहते हैं कि जीना होगा
ये इश्क़ -इश्क़ है इश्क़- इश्क़
मजहब-ए-इश्क़ की हर रस्म कड़ी होती है
हर कदम पर कोई दीवार ख़ड़ी होती है
इश्क़ आज़ाद है हिन्दू न मुसलमान है इश्क़
आप ही धर्म है और आप ही ईमान है इश्क़
जिससे आगाह नहीं शैखों ब्राम्हण दोनों
उस हक़ीक़त का गरजता हुआ ऐलान है इश्क़
इश्क़ न पुच्छे दीन धरम नूँ इश्क़ न पुच्छे जाताँ
इश्क़ दे हत्थों गरम लहू विच डुबयाँ लख बरताँ
क्यों कि ये इश्क़ -इश्क़ है इश्क़- इश्क़
राह उल्फ़त की कठिन है इसे आसां न समझ
ये इश्क़ -इश्क़ है इश्क़- इश्क़
बहोत कठिन है डगर पनघट की
बहोत कठिन है डगर पनघट की
अब क्या भर लाऊँ मैं जमुना से मटकी
मैं जो चली जल जमुना भरन को देखो सखी री
नन्द के छोरे मोहे रोके झाड़ों में
क्या भर लाऊँ मैं जमुना से मटकी
अब लाज राखो मोरे घूँघट पट की
लाज राखो राखो
जब जब कृष्ण की बन्सी बाजी निकली राधा सजके
जान अजान का ज्ञान भुला के लोक लाज को तज के
बन-बन डोली जनक दुलारी पहन के प्रेम की माला
दर्शन जल की प्यासी मीरा, पी गई बिस का प्याला
और फिर अर्ज करी की
लाज राखो राखो राखो
अल्लाह और रसूल का फ़र्मान इश्क़ है
यानी हदीस इश्क़ है कुरआन इश्क़ है
गौतम का और मसीह का अरमान इश्क़ है
ये कायनात जिस्म है और जान इश्क़ है
इश्क़ सरमद, इश्क़ ही मंसूर है
इश्क़ मूसा, इश्क़ कोहे-तूर है
ख़ाक को बुत और बुत को देवता करता है इश्क़
इंतिहा ये है कि बन्दे को ख़ुदा करता है इश्क़
तेरा इश्क़ -इश्क़ तेरा इश्क़- इश्क़