अनुराधा ओ अनुराधा गोकुल से गे गिरधारी - The Indic Lyrics Database

अनुराधा ओ अनुराधा गोकुल से गे गिरधारी

गीतकार - केदार शर्मा | गायक - के सी डे | संगीत - आर सी बोराल | फ़िल्म - विद्यापति | वर्ष - 1937

View in Roman

अनुराधा
ओ अनुराधा
क्यूँ री पगली
अरी इस तरह रोने से क्या होगा

तुम आँसू पोँछ रही हो
मगर मुझे हिचकियों की अवाज़ तो सुनाई दे रही है
अच्छा सुनो तुम्हें एक कहानी सुनाऊँ
बहोत दिन हुये एक बारगोकुल से गये गिरधारी -२
हुई सूनी नगरी सारी
गोकुल से गये गिरधारीजित देखो उत छाई उदासी रोवत है नर-नारी -२
गोकुल से गये गिरधारीगिरधारी तो गोकुल से चले गये
जो वृन्दावन वाले थे उनका क्या हाल हुआनैनन नीर न चैन जिया में -२
शोक हुआ अती भारी -२और गोपियों की हालत तो और भी ख़राब थी
बिचारी कहती थीकैसे जाऊँ जमुना जल भरने
कैसे जाऊँ जमुना
जमुना जल भरने
कैसे जाऊँ जमुना जल भरने
तट पे न आज मुरारी -२मगर सबसे ज़्यादा दुख जानती हो किसे हुआ था
अनुराधा जैसी एक राधा थी
बिचारी
बिचारी रो-रो कर कहती थीकान्ह-कान्ह हर आन रटत मन -२
भूलत नाहीं बिहारी -२
कहे बिद्यापती मधुसूदन ने
राधे
राधे मन से बिसारी -२