तंग आ चुके हैं कश्मकश - The Indic Lyrics Database

तंग आ चुके हैं कश्मकश

गीतकार - साहिर | गायक - आशा: | संगीत - एन दत्ता | फ़िल्म - लाइट हाउस | वर्ष - 1958

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तंग आ चुके हैं कश्मकश-ए-ज़िन्दगी से हम
ठुकरा ना दें जहाँ को कहीं बेदिली से हम
तंग आ चुके
लो आज हमने तोड़ दिया, रिश्ता-ए-उम्मीद
लो अब कभी गिला ना करेंगे किसी से हम
ठुकरा ना दें जहाँ को कहीं बेदिली से हम
तंग आ चुके
गर ज़िन्दगी में मिल गये फिर इत्तफ़ाक़ से
पूछेंगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम
ठुकरा ना दें जहाँ को कहीं बेदिली से हम
तंग आ चुके
ओ आसमान वाले कभी तो निगाह कर
अब तक ये ज़ुल्म सहते रहे खामोशी से हम
ठुकरा ना दें जहाँ को कहीं बेदिली से हम
तंग आ चुके
तंग आ चुके हैं कश्मकश-ए-ज़िन्दगी से हम
तंग आ चुके
थे लस्त वेर्से वस सिम्प्लिफ़िएद अगैन फ़्रोम थे ओरिगिनल
अल्लाह रे फ़रेब-ए-मशीयत के आज तक
दुनिया के ज़ुल्म सहते रहे खामोशी से हम
थे विल्ल ओफ़ गोद
अनोथेर गूद ओने फ़्रोम थे समे घज़ल इस:
मायूसी-ए-माल-ए-मोहब्बत ना पूछिये
अपनों से पेश आये हैं बेगानगी से हम
तेर्मिनतिओन, अल्सो, cओन्सेक़ुएन्cए
तंग आ चुके हैं कश्मकश-ए-ज़िंदगी से हम
ठुकरा न दे जहाँ को कहीं बेदिली से हम
हम ग़मज़दा हैं लाये कहाँ से खुशी के गीत
देंगे वही जो पायेंगे इस ज़िंदगी से हम
उभरेंगे एक बार अभी दिल के वलवले
माना की दब गये हैं ग़म-ए-ज़िंदगी से हम
लो आज हमने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उम्मीद
लो अब कभी भी गिला न करेंगे किसी से हम$