अभी आवो मोहब्बत की खा लेन क़ासामी - The Indic Lyrics Database

अभी आवो मोहब्बत की खा लेन क़ासामी

गीतकार - पी एल संतोषी | गायक - सी रामचंद्र, अमीरबाई कर्नाटक | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - शहनाई | वर्ष - 1947

View in Roman

चि : अजी आवो
अजी आवो मोहब्बत की खा लें क़सम
हमारे रहो तुम तुम्हारे रहें हम
अजी आवो
अ : अजी आवो जवानी की क़सम खा लें
हमारे रहो तुम तुम्हारे रहें हम
अजी आवोअ : जिस धारा में नैया हमारी बहे रे
हमारी बहे रे
चि : जिस धारा में दुनिया ये सारी बहे रे
ये सारी बहे रे
दो : उस धारा में -२
घुल-मिल के संग बहें हम
हमारे रहो तुम तुम्हारे रहें हम
अजी आवोअजी आवो जवानी की क़सम खा लें
हमारे रहो तुम तुम्हारे रहें हम
अजी आवोअ : जिस बोली में बोलें पपीहा पिया हो
पपीहा पिया हो
चि : जिस बोली में धड़के हमारा जिया हो
हमारा जिया हो
दो : उस बोली में -२
कानों में तुमसे कहें हम
हमारे रहो तुम तुम्हारे रहें हम
अजी आवोअजी आवो जवानी की क़सम खा लें
हमारे रहो तुम तुम्हारे रहें हम
अजी आवोचि : ( चाहें पच्छिम से सूरज निकलने लगे
अ : चाहें चन्दा भी आग़ उगलने लगे ) -२
दो : ये उल्फ़त हमारी कभी हो ना पाये कम
हमारे रहो तुम तुम्हारे रहें हम
अजी आवोअजी आवो जवानी की क़सम खा लें
हमारे रहो तुम तुम्हारे रहें हम
अजी आवो