ये सावन रुत तुम और हम - The Indic Lyrics Database

ये सावन रुत तुम और हम

गीतकार - शकील | गायक - रफ़ी, सुरैया | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - दास्तान | वर्ष - 1950

View in Roman

त र री
आ र री
आ र री
ये सावन रुत तुम और हम
त र र र रम
त र र र रम
त रम पम
त रम पम
त र रम पम
ऊँ ऊँ
त र री
आ र री
आ र री
दिल नाचे रे छम-छम-छम
त र र र रम
त र र र रम
त रम पम
त रम पम
त र रम पम
ऊँ ऊँ
आँखों में तुम ले के प्यार आ गये
गुलशन में बन कर बहार आ गये
देखो वो कलियों को आई हँसी
बादल की छाया में नाचे ख़ुशी
तू है तो फिर क्या है ग़म
त र र र रम
त र र र रम
त रम पम
त रम पम
त र रम पम
ऊँ ऊँ
कहता है मेरा दिल चलिये वहाँ
हर दिन हो सावन ही सावन जहाँ
हम-तुम हों रिमझिम का इक साज़ हो
बस तेरी और मेरी आवाज़ हो
गायेँ मिल-मिल के हरदम
त र र र रम
त र र र रम
त रम पम
त रम पम
त र रम पम
ऊँ ऊँ
त र री
आ र री
आ र री$