तडप तडप के इस दिल से आह निकलती रही - The Indic Lyrics Database

तडप तडप के इस दिल से आह निकलती रही

गीतकार - महबूब | गायक - Nil | संगीत - इस्माइल दरबार | फ़िल्म - हम दिल दे चुके सनम | वर्ष - 1999

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बेजान दिल को तेरे इश्क़ ने ज़िंदा किया
फिर तेरे इश्क़ ने ही इस दिल को तबाह किया
तड़प तड़प के इस दिल से आह निकलती रही
मुझको सज़ा दी प्यार की ऐसा क्या गुनाह किया
तो लुट गये हम तेरी मोहब्बत में
अजब है इश्क़ यारा, पल दो पल की खुशियाँ
ग़म के खज़ाने मिलते हैं, फिर मिलती हैं तनहाईयाँ
कभी आँसू कभी आहें, कभी शिकवे कभी नालें
तेरा चेहरा नजर आये
तेरा चेहरा नजर आये मुझे दिन के उजालों में तेरी यादें तडपायें
तेरी यादें तडपायें, रातों के अंधेरों में तेरा चेहरा नजर आये
मचल मचल के इस दिल से आह निकलती रही
मुझको सज़ा दी प्यार की ऐसा क्या गुनाह किया
तो लुट गये हम तेरी मोहब्बत में
अगर मिले ख़ुदा तो, पुछूँगा ख़ुदाया
जिस्म मुझे देके मिट्टीका, शीशे सा दिल क्यों बनाया
और उसपे दिया फितरत के वह करता है मोहब्बत
वाह रे वाह तेरी कुदरत
वाह रे वाह तेरी कुदरत उसपे दे दिया किस्मत
कभी है मिलन कभी फ़ुर्कत
कभी है मिलन कभी फ़ुर्कत है यही क्या वो मोहब्बत
वाह रे वाह तेरी कुदरत
सिसक सिसक के इस दिलसे आह निकलती रही
मुझको सज़ा दी प्यार की ऐसा क्या गुनाह किया
तो लुट गये हम तेरी मोहब्बत में