ना मैं धन चाहूँ, ना रतन चाहूँ - The Indic Lyrics Database

ना मैं धन चाहूँ, ना रतन चाहूँ

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - गीता दत्त - सुधा मल्होत्रा | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - काला बाजार | वर्ष - 1960

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ना मैं धन चाहूँ, ना रतन चाहूँ
तेरे चरणों की धूल मिल जाए, तो मैं तर जाऊँ
शाम तर जाऊँ, हे राम तर जाऊँ
मोह मन मोहे लोभ ललचाए
कैसे कैसे ये नाग लहराए
इस से पहले कि दिल उधर जाए
मैं तो मर जाऊँ, क्यों ना मर जाऊँ
लाए क्या थे जो लेके जाना है
नेक दिल ही तेरा ख़ज़ाना है
सांझ होते ही पंछी आ जाए
अब तो घर जाऊँ, अपने घर जाऊँ
थम गया पानी, जम गई काई
बहती नदिया ही साफ़ कहलाई
मेरे दिल ने ही जाल फैलाए
अब किधर जाऊँ, मैं किधर जाऊँ