ज़कम ए तन्हाई में कुशबु ए हिना किसाकी थी - The Indic Lyrics Database

ज़कम ए तन्हाई में कुशबु ए हिना किसाकी थी

गीतकार - मुजफ्फर वारसी | गायक - गुलाम अली | संगीत - | फ़िल्म - करामाती घंटा (गैर फिल्म) | वर्ष - 1984

View in Roman जुस्तज़ू सी तुझे हर वक़्त बता किसकी थीउसकी रफ़्तार में लिपटी रहीं मेरी आँखें
उसने मुड़ कर भी न देखा कि वफ़ा किसकी थीवक़्त की तरह दबे पाँव ये कौन आया है
मैं अन्धेरा जिसे समझा वो क़बा किसकी थीआग से दोस्ती उसकी थी जला घर मेरा
दी गई किसको सज़ा और ख़ता किसकी थीमैंने बीनाइयाँ बोकर भी अंधेरे काटे
किसके बस में थी ज़मीं आब-ओ-हवा किसकी थी
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ज़ख़्म-ए-तन्हाई में ख़ुश्बू-ए-हिना किसकी थी
साया दीवार पे मेरा था सदा किसकी थीआँसुओं से ही सही भर गया दामन मेरा
हाथ तो मैंने उठाये थे दुआ किसकी थीमेरी आहों की ज़बाँ कोई समझता कैसे
ज़िंदगी इतनी दुखी मेरे सिवा किसकी थीछोड़ दी किसके लिये तूने 'मुज़फ़्फ़र' दुनिया
जुस्तज़ू सी तुझे हर वक़्त बता किसकी थीउसकी रफ़्तार में लिपटी रहीं मेरी आँखें
उसने मुड़ कर भी न देखा कि वफ़ा किसकी थीवक़्त की तरह दबे पाँव ये कौन आया है
मैं अन्धेरा जिसे समझा वो क़बा किसकी थीआग से दोस्ती उसकी थी जला घर मेरा
दी गई किसको सज़ा और ख़ता किसकी थीमैंने बीनाइयाँ बोकर भी अंधेरे काटे
किसके बस में थी ज़मीं आब-ओ-हवा किसकी थी