तुम्हें बांधने के लिये - The Indic Lyrics Database

तुम्हें बांधने के लिये

गीतकार - पं. नरेंद्र शर्मा | गायक - लता | संगीत - सुधीर फड़के | फ़िल्म - रत्नाघर | वर्ष - 1955

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तुम्हें बांधने के लिये मेरे पास और क्या है
मेरा प्रेम है
मेरा प्रेम है रे, मेरा प्रेम है
मेरा प्रेम है रे, मेरा प्रेम है
कली की खुल खुल जाती
ओऽ ओऽ
कली की खुल खुल जाती खुशबू उड़ उड़ जाती
कुम्हलाती फूलों की माला मन को बांध न पाती
बुल्बुल बनके भेद बताती
क्या pause क्या?
तुम्हें बांधने के लिये मेरे पास और क्या है ...
ओऽ ओऽ हो हो हो
प्रीत के राजा मेरी प्रीत के राजा
कैसे मैं तुमको रिझाऊँगी
काली काली नीलम के झूलेसे
नयनों में तुमको झुलाऊंगी
कोयल बनके गीत सुनाऊँगी
क्या pause क्या
तुम्हें बांधने के लिये मेरे पास और क्या है ...
तुम्हें बांधने के लिये मेरे पास और क्या है
मेरा प्रेम है
मेरा प्रेम है रे, मेरा प्रेम है $