तुम्हारी मस्त नज़र गर इधर नहीं होती - The Indic Lyrics Database

तुम्हारी मस्त नज़र गर इधर नहीं होती

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मुकेश | संगीत - रोशन | फ़िल्म - दिल ही तो है | वर्ष - 1963

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तुम्हारी मस्त नज़र, अगर इधर नहीं होती
नशे में चूर फ़िज़ा इस क़दर नहीं होतीतुम्हीं को देखने की दिल में आरज़ूएं हैं
तुम्हारे आगे ही और ऊँची नज़र नहीं होतीख़फ़ा न होना अगर बढ़ के थाम लूँ दामन
ये दिल फ़रेब ख़ता जान कर नहीं होतीतुम्हारे आने तलक हम को होश रहता है
फिर उस के बाद हमें कुछ खबर नहीं होती