इक मंज़िल राही दो फिर प्यार ना कैसे हो - The Indic Lyrics Database

इक मंज़िल राही दो फिर प्यार ना कैसे हो

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - लता मंगेशकर, मुकेश | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - संजोग | वर्ष - 1961

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ल : इक मंज़िल राही दो ( फिर प्यार न कैसे हो ) -२
मु : साथ मिले जब दिल दो ( फिर प्यार ना कैसे हो ) -२हम भी वही हैं दिल भी वही है धड़कन मगर नई है
ल : देखो तो मीत आँखों में प्रीत ( क्या रंग भर गई है ) -२
दो : इक मंज़िल राही दो ...ल : निकले हैं धुन में अपनी लगन में मंज़िल बुला रही है
मु : ठंडी हवा भी अब तो मिलन के ( नग़में सुना रही है ) -२
दो : इक मंज़िल राही दो ...मु : देखो वो फूल दुनिया से दूर आकर कहाँ खिला है
ल : मेरी तरह ये ख़ुश है ज़रूर ( इसको भी कुछ मिला है ) -२
दो : इक मंज़िल राही दो ...