तेरे बच्चपन को जवानी की दुआ देती हुं - The Indic Lyrics Database

तेरे बच्चपन को जवानी की दुआ देती हुं

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - | वर्ष - 1963

View in Roman

तेरे बचपन को जवानी की दुआ देती हूँ
और दुआ देके परेशान सी हो जाती हूँमेरे मुन्ने मेरे गुलज़ार के नन्हे पौधे
तुझको हालत की आंधी से बचाने के लिये
आज मैं प्यार के आंचल में छुपा लेती हूँ
कल ये कमज़ोर सहारा भी न हासिल होगा
कल तुझे कांटों भरी राहों पे चलना होगा
ज़िंदगानी की कड़ी धूप में जलना होगा
तेरे बचपन को जवानी ...तेरे माथे पे शराफ़त की कोई मोहर नहीं
चंद होते हैं मुहब्बत के सुकून ही क्या हैं
जैसे माओं की मुहब्बत का कोई मोल नहीं
मेरे मासूम फ़रिश्ते तू अभी क्या जाने
तुझको किस-किसकी गुनाहों की सज़ा मिलनी है
दीन और धर्म के मारे हुए इंसानों की
जो नज़र मिलनी है तुझको वो खफ़ा मिलनी है
तेरे बचपन को जवानी ...बेड़ियाँ लेके लपकता हुआ कानून का हाथ
तेरे माँ-बाप से जब तुझको मिली ये सौगात
कौन लाएगा तेरे वास्ते खुशियों की बारात
मेरे बच्चे तेरे अंजाम से जी डरता है
तेरी दुश्मन ही न साबित हो जवानी तेरी
खाक जाती है जिसे सोचके ममता मेरी
उसी अंजाम को पहुंचे न कहानी तेरी
तेरे बचपन को जवानी ...